Sunday, April 3, 2011

AAYU VANDH-HOW WE FACE AAYU VANDH

आयु बंध - हमारा इस जनम में नयी आयु का बंध जाना,या पहले से ही फिक्स हो जाने को आयु बंध कहते हैं,जैसे की आप एक मनुष्य है,आप को उचित समय पर तिर्यंच गति का बंध हो गया,मतलब हम जिस योनी में हैं  उसी योनी में हमारा अगली योनी का बंध हो गया-इसी को आयु बंध कहते हैं.

कैसे होता है यह आयु बंध-
यह आयु बंध उम्र के २/३ भाग गुजर जाने के बाद होता है,

हम इसे एक उदहारण के माध्यम से समझेंगे

मान लीजिये एक लड़का है जिसका नाम राजेश है,हमने ऐसा मान लिया की उसकी आयु ६० वर्ष की है,तोह उसका जो नयी गति का बंध होगा,उसकी पूरी उम्र का २/३ हिस्सा गुजर जाने के बाद हो गा,यानि की ४० वर्ष के बाद उसका आयु बंध कभी भी हो सकता है,मान लीजिये तब भी नहीं हुआ,तोह उसकी आयु बची कितनी,, २० वर्ष की आयु ही तोह बची,अब हमें पता है की २० वर्ष में २४० महीने होते हैं,तोह उसका आयु वंध उसकी बची हुई आयु के २/३ भाग बीत जाने के बाद होगा,यानि की १६० महीने बीत जाने के बाद होगा,अगर तब भी आयु बंध नहीं हुआ,तोह फिर से बची हुई आयु का २/३ हिस्सा बीत जाने के बाद होगा,यानि की ८० महीनों में ५१ महीने बीत जाने के बाद उसका आयु बंध होगा.

इस उदहारण के माध्यम से हम समझ सकते हैं की आयु बंध किस तरह से २/३ भाग गुजर जाने के बाद होता है

अकाल मृत्यु के समय कैसे होता है आयु बंध?
अब मनुष्यों में तोह अकाल मृत्यु संभव है,तोह ऐसे समय में आयु बंध कब होगा?,अकाल मृत्यु यानी की एक्सिडेंट या फांसी लगा के,या उम्र से पहले ही मर जाना,मान लीजिये कोई बालक पुरे ५० वर्ष की आयु लेकर आया है,लेकिन वेह ८ वर्ष की उम्र में ही मर जाता  है,तोह उस बालक का आयु बंध उसके मरने से पहले की घडी में ही हो जायेगा,जैसें की कोई भी होगा,वेह एक्सिडेंट होते ही तोह मर नहीं जाएगा,१ मिनट में या दो मिनट में तोह कम से कम सांस चलनी बंद होगी,तोह ऐसे समय में उस एक या दो मिनट के २/३ भाग बीत जाने के बाद उसका आयु वंध होगा,यानि ४० सेकंड या ८० सेकंड के बाद आयु बंध होगा,और उस समय उस जीव के के जैसे परिणाम होंगे,वेह वैसे ही आयु मैं जाएगा,आयु बंध के समय जैसे परिणाम होते हैं,वेह जीव वैसी ही आयु में जाता है,मेरा मानना है की इसलिए अकाल मृत्यु से मरने में शुभ आयु का बंध नहीं होता है,क्योंकि परिणाम तोह अशुद्ध  होते हैं,इसलिए आयु भी अशुभ ही होती है.

ऐसा देखने में आया है की कोई व्यक्ति पुरे जीवन भर पाप करता है लेकिन अपनी उम्र का २/३ हिस्सा बीत जान के बाद अपने आप ही धर्मं-कर्म में लग जाता है,और शुभ आयु का बंध कर लेता है,ऐसा नहीं है उसको अपने बुरे कर्मों का फल नहीं मिलेगा,वेह कर्म उसकी नयी आयु में असाता वेदनीय के रूप में उसे फल देंगे,ऐसा भी होता है की कोई व्यक्ति जिंदगी भर पुण्य करता है,लेकिन २/३ हिस्सा बीत जाने के बाद पाप करना शुरू कर देता है,और बुरी आयु का बंध कर लेता है,लेकिन जो अच्छे कर्म होते हैं वेह उसके सामने साता वेदनीय के रूप में प्रकट होतें हैं.

अब,मान्यवर प्रश्न यह आया की अब हमें क्या पता की हमारी आयु कितनी है,तभी तोह हम अपने आयु बंध होने का पता लगा पाएंगे,इसलिए हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए,कब क्या पता आयु बंध हो जाए,और हमें पता भी नहीं चले,और हो सकता है की इस पोस्ट को पढ़ रहे कितने लोगों का आयु बंध हो भी गया हो,यह तो उम्र के ऊपर निर्भर करता है,कोई १०० साल जीता है तोह कोई ४० साल.
इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करते रहना चाहिए.

यह ऊपर जो कुछ भी मैंने लिखा है,यह मैंने अपने गुरूजी से बालबोध पाठशाला पर सुने हुए आयु बंध  पर सुने हुए प्रवचनों पर लिखा है,कोई व्यकारण से सम्बंधित  कोई गलती हो तोह माफ़ करें
जय जिनेन्द्र.

No comments:

Post a Comment