Tuesday, June 28, 2011

6 dhaala-chauthi dhaal-pramad charya,hinsadaan.aur dushrut anarth dand vrat ke lakshan

६ ढाला

चौथी ढाल

प्रमाद चर्या,हिंसादान और दु-श्रुतः अनर्थ दंड व्रत

कर प्रमाद जल भूमि,वृक्ष,पावक न विराधे
असि धनु हल,हिंसोपकरण,नहीं दे यश लागे
राग-द्वेष करतार कथा कबहूँ न सुनिजे
औरहूँ अनर्थ दंड हेतु अघ तिन्हे न कीजे


शब्दार्थ
१.अनर्थ-बेकार
२.प्रमाद-आलस,बेकार में,मजे में
३.पावक-अग्निकायिक और वयुकायिक जीव
४.विराधे-हिंसा करना
५,असि-तलवार
६.धनु-धनुष
७.हिंसोपकरण-हिंसा के कारण अस्त्र-शास्त्र
८.यश-लागे-यश नहीं मनन
९.करतार-करने वाली
१०.कबहू-कभी भी
११.सुनिजे-नहीं सुनना
१२.हेतु-की वजह से
१३.अघ-पाप
१४.कीजै-नहीं करिए

भावार्थ
प्रमाद चर्या अनर्थ दंड व्रत का धारी श्रावक बेमतलब में,प्रमाद या अकारण जल कायिक,वायुकायिक,अग्नि कायिक,वनस्पति कायिक और पृथ्वी कायिक जीवों की विराधना नहीं करेगा,जैसे पानी बर्बाद नहीं करना,कुदाल से मिटटी नहीं खोदना,फूल,पट्टी अदि नहीं तोडना,प...ंखा अदि बेफाल्तू में नहीं चलाना.

हिंसा दान अनर्थ दंड व्रत का धारी श्रावक तलवार,दनुष,हल अदि हिंसा के उपकरण को न किसी को देगा,न दिलवाएगा,न रखने वालों की अनुमोदन करेगा और न ही खुद रखने में यश मानेगा.जैसे की बन्दुक अदि रखने का काम नहीं रखेगा,.या अन्य हिंसा के कारण अस्त्र-शस्त्र और वस्तुओं को नहीं रखेगा.

दु-श्रुतः अनर्थ दंड व्रत का धारी श्रावक कभी भी राग-द्वेष को उत्तपन करने वाली कथाएँ पढ़ेगा,न सुनेगा, न सुनाएगा..जैसे की सिनेमा अदि नहीं देखेगा,अशील कथा नहीं पढ़ेगा,झूठे शास्त्र नहीं पढ़ेगा.

रचयिता-कविवर श्री दौलत राम ji
लिखने का आधार-स्वाध्याय(६ ढाला,संपादक-पंडित रत्न लाल बैनाडा,डॉ शीतल चंद जैन)

जा वाणी के ज्ञान से सूझे लोकालोक,सो वाणी मस्तक नमो सदा देत हूँ ढोक.




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