Friday, June 17, 2011

6 dhaala-chauthi dhaal-samyak darshan aur samyak gyan mein antar

६ ढाला
तीसरी ढाल

सम्यक साथै ज्ञान होए,पै भिन्न अराधो
लक्षण श्रद्धा जान दुहूँ में भेद अबाधो
सम्यक कारण जान ज्ञान कारज है सोई
युगपत होत हूँ भी प्रकाश दीपकतैं होई

शब्दार्थ
१.सम्यक साथै-सम्यक दर्शन के साथ
२.ज्ञान-सम्यक ज्ञान
३.पै-तोह भी
४.भिन्न-अलग,अलग
५.अराधो-मानना चाहिए
६.श्रद्धा-दर्शन
७.जान-जानने
८.दुबहूँ-दोनों में
९.अबाधो-निर्बाध
१०.सोई-है
११.युगपत-एक ही,एक साथ
१२.होत हूँ-होने के बाबजूद
१३.प्रकाश-उजाला
१४.होई-होता है

भावार्थ
सम्यक दर्शन ( सच्ची श्रद्धा) और सच्चा ज्ञान ( सम्यक ज्ञान) एक साथ ही होता है,लेकिन तोह भी उसमें अंतर जानना चाहिए..सम्यक दर्शन का लक्षण श्रद्धा है,दर्शन है या विश्वास है,लेकिन सम्यक ज्ञान का लक्षण ज्ञान है,जानना है..और दोनों में निर्बाध अंतर है..एक दम अलग है..सम्यक दर्शन कारण है...और सम्यक ज्ञान कार्य है...बिना कारण कार्य नहीं होता..उसी प्रकार बिना सम्यक दर्शन के सम्यक ज्ञान नहीं होता..ठीक उसी प्रकार जैसे दीपक और प्रकाश अलग-अलग हैं..लेकिन दीपक को ही प्रकाश का कारण माना जाता..दीप को जलाते ही प्रकाश होता है..लेकिन दीपक और प्रकाश दोनों भिन्न-भिन्न चीजें हैं..इसी प्रकार सम्यक दर्शन और सम्यक ज्ञान अलग अलग हैं..लेकिन दोनों एक साथ ही होती हैं

रचयिता-कविवर दौलत राम जी
लिखने का आधार-स्वाध्याय(६ ढाला,संपादक,श्री रत्न लाल बैनाडा,डॉ शीतल चंद जैन)

जा वाणी के ज्ञान से सूझे लोकालोक,सो वाणी मस्तक नमो सदा देत हूँ ढोक.




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