६ ढाला
चौथी ढाल
सम्यक ज्ञान के भेद और देश प्रत्यक्ष का लक्षण
तास भेद हैं दो,परोक्ष,परतछि तिन माहि
मति श्रुति दोय परोक्ष अक्ष मन तैं उपजहिं
अवधि ज्ञान मन-पर्जय दो हैं देश प्रत्यक्षा
द्रव्य-क्षेत्र परिमाण लिए जाने जिय स्वच्छा.
शब्दार्थ
१.तास-उस सम्यक ज्ञान
२.परोक्ष-परोक्ष ज्ञान
३.परतछि-प्रत्यक्ष ज्ञान
४.मति-श्रुत-मति ज्ञान और श्रुत ज्ञान
५.दोय-यह दोनों
६.अक्ष-इन्द्रिय
७.उपजाही-पता चलता है
८.मन-पर्जय-मन पर्याय ज्ञान
९.द्रव्य क्षेत्र परिमाण-द्रव्य,क्षेत्र,भाव,काल और भावों के परिमाण,या सीमा के साथ
१०.जिय-जीव
११.स्वच्छा-प्रकट
भावार्थ
उस सम्यक ज्ञान(सच्चे ज्ञान) के दो भेद हैं..प्रत्यक्ष ज्ञान और परोक्ष ज्ञान..परोक्ष ज्ञान वह है जो इन्द्रिय और मन की सहायता से होता है..इसके दो प्रकार हैं १.मति ज्ञान और २.श्रुत ज्ञान...मति ज्ञान और श्रुत ज्ञान इन्द्रिय और मन की सहायता से होते हैं..दूसरा प्रत्यक्ष ज्ञान हैं..इसके दो भेद हैं देश प्रत्यक्ष और सकल प्रत्यक्ष..देश प्रत्यक्ष वह है जिसमें जीव बिना इन्द्रिय और मन की सहायता से जानता तोह है..लेकिन द्रव्य क्षेत्र,भाव,काल और भाव की सीमा के साथ जानता है..जैसे की "इस इलाके से आगे का नहीं जान सकता,,या सात भाव से पहले का नही जान सकता ,या आज ही आज का जानता है,कल का नहीं..)यह सब उदहारण हैं,,इस ज्ञान के दो भेद हैं १.अवधि ज्ञान और दूसरा २.मन पर्याय ज्ञान...सकल प्रत्यक्ष के बारे में अगले श्लोक में जानेंगे.
रचयिता-कविवर श्री दौलत राम जी
लिखने का आधार-स्वाध्याय(६ ढाला,संपादक श्री रत्न लाल बैनाडा जी,डॉ शीतल चंद जैन)
जा वाणी के ज्ञान से सूझे लोकालोक,सो वाणी मस्तक नमों सदा देत हूँ ढोक.
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