६ ढाला
तीसरी ढाल
सम्यक ज्ञान की महिमा,विषय चाह रोकने का उपाय
जे पूरव में शिव गए,जाहीं अरु आगे जे हैं,
सो सब महिमा ज्ञान-तनी,मुनि नाथ कहे हैं
विषय चाह दाव-दाह,जगत-जन अरनिं दझावे
ताकू उपाय न आन ज्ञान घनघान बुझावे
शब्दार्थ
१.जे-जो
२.पूरव-पहले
३.शिव-मोक्ष,आकुलता रहित अवस्था
४.जाहीं-जा रहे हैं
५.अरु-और
६.जे-जायेंगे
७.सो-यह सारी
८.ज्ञान-तनी--सम्यक ज्ञान की
९.मुनिनाथ-अरिहंत भगवन या गणधर भगवन
१०.कहे हैं-मुनियों के नाथ ने कहा है
११.दव-दह--दावानल के सामान जलने वाली है
१२.जगत-जन-संसार के जीवो को
१३.अरनिं-वन को
१४.दझावे-जला रही है
१५.ताकू-इसका
१६.आन-कोई दूसरा
१७.ज्ञान-सम्यक ज्ञान-सच्चा ज्ञान
१८.घन-घान-मेघों का समूह
१९.बुझावे-बुझाता है
भावार्थ
जिन जिन जीवों ने आकुलता रहित,निराकुल आनंद सुख को यानी की मोक्ष सुख को प्राप्त किया है,या प्राप्त कर रहे हैं...या आगे प्राप्त करेंगे....वह सिर्फ सच्चे ज्ञान की मदद से ही प्राप्त कर सकेंगे..और जो भी जीव आजतक मोक्ष सुख को प्राप्त कर रहे हैं या कर चुके हैं...यह सब महिमा सम्यक ज्ञान की ही है...ऐसा मुनियों के नाथ,वीतरागी,१८ दोषों से रहित भगवान ने कहा है...और गणधर भगवान ने कहा है. विषयों की चाह दावानल के सामान संसार के जनसमूह रुपी वन को जला रही है..जीर्ण-शीर्ण कर रही है..और इस विषयों की चाह को रोकने के लिए संसार में सम्यक ज्ञान,भेद विज्ञान,सच्चे ज्ञान के सिवाय अन्य कोई उपाय नहीं है...यह सम्यक ज्ञान रुपी मेघों का समूह संसार के जनसमूह रुपी वन में लगी हुई विषयों की आग को बुझा देता है..इसलिए हम को इस महा-कल्याणकारी सम्यक ज्ञान को धारण करना चाहिए.
रचयिता-कविवर श्री दौलत राम जी कृत
लिखने का आधार-स्वाध्याय(६ ढाला,संपादक-पंडित रत्न लाल बैनाडा,डॉ शीतल चंद जैन)
जा वाणी के ज्ञान से सूझे लोकालोक,सो वाणी मस्तक नमो सदा देत हूँ ढोक.
No comments:
Post a Comment