Sunday, June 19, 2011

६ ढाला

चौथी ढाल

सकल प्रत्यक्ष का लक्षण और ज्ञान का महत्व
सकल द्रव्य के गुण अनंत परजाय अनंता
जाने एकहूँ काल  प्रकट केवली भगवंता
ज्ञान सामान न आन जगत में सुख को कारन
इही परमामृत जन्म-जरा-मृत रोग निवारन.

शब्दार्थ
१.सकल-सारे ६ द्रव्यों
२.गुण-जो एक द्रव्य को दुसरे द्रव्य से भिन्न करे
३.अनंत-अ-धन-अंत..जिस राशि का अंत नहीं है
४.एकहूँ-एक ही
५.प्रकट-स्पष्ट
६.आन-कोई दूसरा
७.जरा-बुढ़ापा
८.निवारन-नष्ट करने वाला,ख़त्म करने वाला

भावार्थ
सकल द्रव्य (जीव,पुद्गल,नभ,धर्म,अधर्म और काल)..इन ६ द्रव्यों के अनंत गुण हैं और अनंत पर्याय हैं..और इन अनंत गुण और अनंत पर्याय को केवली भगवन एक ही काल में,एक ही समय में स्पष्ट जानते हैं..यह सकल प्रत्यक्ष ज्ञान है या केवल ज्ञान है..केवल ज्ञान अनंत राशि को भी जान सकते हैं..जबकि सर्वावधि ज्ञान भी इस राशि को नहीं जान sakta,लेकिन सकल प्रत्यक्ष(केवल ज्ञान) इस राशि को जान sakta है.ज्ञान के सामान जगत में दुःख का नाश करने वाली कोई दूसरी चीज नहीं है..या ज्ञान के सामान सुख को देने वाली कोई दूसरी चीज नहीं है..क्योंकि कोई भी अज्ञान अवस्था में ही पाप करता है..अथवा अज्ञान ही दुःख का कारन है...लेकिन ज्ञान रुपी परमामृत तोह जन्म,जरा और मृत्यु के रोगों का विनाश कर देता है..इस ज्ञान के बिना संसार में दुःख ही दुःख है..और ज्ञानामृत हमेशा सुख को देने वाला ही है..आकुलता रहित सुख को सिर्फ ज्ञान के माध्यम से पाया जा sakta है.

रचयिता-कविवर श्री दौलत राम जी
लिखने का आधार-स्वाध्याय(६ ढाला,संपादक,श्री रत्न लाल बैनाडा जी,डॉ शीतल चंद जैन)

जा वाणी के ज्ञान से सूझे लोकालोक,सो वाणी मस्तक नमो सदा देत हूँ ढोक.




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