Saturday, June 25, 2011

6 DHAALA-CHAUTHI DHAAL-SAMYAK CHARITRA-EK DESH CHARITRA KA VARNAN

६ ढाला

तीसरी ढाल

सम्यक चरित्र-एक देश में अहिन्साणु और सत्याणु व्रत का वर्णन

सम्यक ज्ञानी होय बहुरि,दिढ़ चरित्र कीजै
एक देश अरु सकल देश,तसु भेद कहीजै
त्रस हिंसा को त्याग,वृथा थावर न संघारे
पर वधकार,कठोर निंद नहीं वयन उचारे

शब्दार्थ
१.होय-होने के बाद
२.बहुरि-भव्य जीवों
३.दिढ़-अटल,हमेशा रहने वाला
४.कीजै-धारण करो
५.अरु-और
६.सकल-देश--सर्व देश (मुनियों के लिए)
७.सकल देश(श्रावकों के लिए)
८.तसु-जिसके
९.कहीजै-कहे गए हैं
१०.त्रस-एक से ज्यादा इन्द्रिय वाले जीव
११.वृथा-बेकार में
१२.थावर-एकेंद्रिया जीव
१३.संघारे-हिंसा न करे
१४.पर-वधकर-किसी की प्राण-घातक
१५.कठोर-चुभने वाली,बुरी लगने वाली
१६.निंद-निंदनीय..और निंदा की बातें
१७.वयन-वचन
१८.उचारे-उच्चारण करना

भावार्थ
सम्यक ज्ञान,सच्चे ज्ञान को ग्रहण करने के बाद सच्चा चरित्र,अटल चरित्र ग्रहण करना चाहिए..जिसके दो भेद कहे गए हैं..एक देश जो की श्रावकों के लिए हैं और सकल देश जो की मुनियों के लिए बताया गया है.जिसमें श्रावक के १२ प्रकार के व्रत आते हैं..जिसमें पांच अणु व्रत,३ गुण व्रत और ४ शिक्षा व्रत हैं..जिनमें से अणु व्रत का वर्णन कर रहे हैं..
पहले सत्याणु और अहिन्साणु व्रत का वर्णन करते हैं---
१.सत्याणु व्रत का लक्षण यह है की इस व्रत को धारण करने वाला जीव कभी भी ऐसे शब्द नहीं कहेगा..जो अन्य के प्राण के लिए घटक हो जायें..कष्ट दाई हो जायें,दूसरा किसी को चुभने वाले कठोर शब्द नहीं कहेगा..और तीसरा किसी की निंदा अदि नहीं करेगा..और न ही निंदनीय शब्द (जैसे गली-गलोंच) अदि नहीं कहेगा.

२.अहिन्साणु व्रत का लक्षण यह है की इस व्रत को धारण करने वाला जीव त्रस हिंसा का सर्वथा के लिए त्याग,बेफाल्तू में थावर जीवों की हिंसा नहीं करेगा (जैसे पंखा खुला छोड़ दिया,अग्नि जलती छोड़ दी,पानी वार्बाद करना अदि)..यानि की पंचेंद्रिया हिंसा का तोह सवाल ही नहीं उठता.


रचयिता-कविवर श्री दौलत राम जी द्वारा कृत

लिखने का आधार-स्वाध्याय (६ ढाला,संपादक-पंडित श्री रत्न लाल बैनाडा,डॉ शीतल चंद जैन)

जा वाणी के ज्ञान सूझे लोकालोक,सो वाणी मस्तक नमो सदा देत हूँ ढोक.


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