Thursday, June 30, 2011

6 dhaala-chauthi dhaal-vrat paalan ka fal

६ ढाला

चौथी ढाल

व्रत पालन का फल

बारह व्रत के अतिचार पन-पन न लगावे
मरण समय संन्यास धरि तसु दोष नशावे
यों श्रावक व्रत पाल स्वर्ग सोलम उपजावे
तहां ते चय नर जन्म पाय,मुनि होय शिव पावे.



शब्दार्थ
१.अतिचार-दोष
२.पन-पन-पांच-पांच
३.न लगावे-नहीं लगता है
४.मरण समय-शरीर के त्याग के समय
५.संन्यास-समाधी मरण
६.धरि-धारण कर के
७.यों-इस तरह से
८.सोलम-सोलहवें
९.उपजावे-जन्म लेता है
१०.तहांते-वहां से
११.चय-आयु पूरी कर
१२.मुनि होय-मुनि व्रत पालन कर,
१३.शिव-मोक्ष (आकुलता रहित,कर्म रहित अवस्था)
१४.पावे-प्राप्त करता है

भावार्थ

श्रावक व्रत पालने का फल:-

जो मनुष्य श्रावक के १२ व्रतों को पालते हैं,वह भी पांच-पांच अतिचार को दूर करके,तथा जब आयु पूरी होने वाली हो शरीर की उस समय समाधी मरण को धारण करके,अथवा उसके दोषों को दूर करते हैं..इस श्रावक व्रत को पालने के परिणाम स्वरुप वह जीव १६ स्वर्ग तक के देवों में उत्त्पन्न होते हैं...और वहां से आयु पूरी करके मनुष्य आयु पाते हैं,और फिर मुनि होकर परम शिव पद,मोक्ष पद,निराकुल आनंद सुख को प्राप्त होते हैं.


रचयिता-कविवर श्री दौलत राम जी
लिखने का आधार-स्वाध्याय(६ ढाला,संपादक पंडित रत्न लाल बैनाडा,डॉ शीतल चंद जैन)

जा वाणी के ज्ञान से सूझे लोकालोक,सो वाणी मस्तक नमो सदा देत हूँ ढोक.

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