६ ढाला
पांचवी ढाल
बारह भावना भने का कारण,भाने का अधिकारी
मुनि सकल व्रती बडभागी,भव भोगन्तैं वैरागी
वैराग्य उपावन माई,चिंतेन अनुप्रेक्षा भाई
शब्दार्थ
१.सकल व्रती-सारे व्रत,महा व्रत
२.बाद भागी-बहुत भाग्यवान और पुरुषार्थी
३.भाव-संसार
४.भोग-भौतिक सुख
५.वैरागी-विरक्त
६.वैराग्य-विरक्ति
७.माई-माँ
८.चिंतेन-चिंतन करते हैं
९.अनुप्रेक्षा-बारह भावना
भावार्थ
मुनि सकल व्रती हैं..महा व्रतों को धारण किये हुए हैं..वह बहुत भाग्यवान हैं,अतीव पुरुषार्थी हैं..जो संसार के भौतिक सुखों से विरक्त हैं...इन्द्रिय जन्य सुखों से विरक्त हैं और अस्थायी सुखों से विरक्त हैं...वह वैराग्य रुपी पुत्र को उत्पन्नं करने के लिए बारह भावना रुपी माँ का ध्यान करते हैं..इन बारह भावनाओं को भाने से वैराग्य उत्पन्न होता है.
रचयिता-कविवर श्री दौलत राम जी
लिखे का आधार-६ ढाला (संपादक,पंडित रत्न लाल बैनाडा,डॉ शीतल चंद जैन)
जा वाणी के ज्ञान से सूझे लोकालोक,सो वाणी मस्तक नमो सदा देत हूँ ढोक.
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