राजा जनक के यहाँ सीता और भामंडल का जन्म,भामंडल का अपहरण..फिर यौवन अवस्था में मिल जाना...अदि घटनाएं.
राजा जनक के यहाँ महारानी गर्भवती हुईं..उनको गर्भवती देखकर एक भवनवासी देव के मन में आया की इसके पुत्र को मैं ले लूं..और मार दूं,लेकिन गर्भ में मारूंगा तोह मान भी मर-जायेगी..इसीलिए पहले यह गर्भ से बहार आये तोह मारून..ऐसा विचार उस भवनवासी देव के मन में इसलिए आया क्योंकि वह पूर्व जन्म में एक ब्रह्मण था...वह चित्त्सोवा नाम की स्त्री से काम-असाक्त था..लेकिन कुंडरीक (जो भामंडल था) नाम के राजा ने चित्त्सोवा को हर लिया..और पुंदर नाम के उस ब्राह्माण से वियोग कराया...वह कामासक्त हो कर जलने लगा..मुनि का संघ मिला तोह विरक्त हो कर मुनि बनकर भवनवासी देव हुआ..और चित्त्सोवा भामंडल की वहां सीता हुई..जब रानी के गर्भ से दोनों बच्चे निकले तोह भवनवासी देव ने पुत्र को उठा लिया..और आकाश मार्ग में ही उसे मारने का विचार किया..लेकिन पूर्व जन्म की बात का ध्यान करके और अपने पूर्व जन्म में मुनि होनी की बात करके पश्चाताप करने लगा और पुत्र को वहीँ पर छोड़ दिया..मिथिला नगरी में हाहाकार मच गया..हर जगह पुत्र को ढूँढा गया..लेकिन नहीं मिला..अंत में संतुष्ट ही होना पड़ा..उस पुत्र का चंद्रगती नाम के विद्याधर ने पाला पोसा...वास्तव में जिसको चंद्रगति विद्याधर ने पाला था वह सीता जी का भाई था...और अज्ञान वश वह अपनी बहन से ही काम असाक्त हो गया था..तब उसे राम के धनुष को तोड़ने की बात सुनी तोह वह क्रोधित हुआ..और मिथिला नगरी पर आक्रमण करने गया..रास्ते में उसे पूर्व जन्म का नगर दिखाई दिया और उसे जाती-स्मरण हो गया..और वह बेहोश हो गया...उसकी बेहोशी देख मंत्री वापिस उसे नगर में ले आये..तब भामंडल ने पूरा पूर्व जन्म का और सीता और उसकी बहन का वृतांत सुनाया...यह सुनकर चंद्रोगति विद्याधर विरक्त हो गए...और भामंडल को राज्य अभिषेक देने की तैयारी हुई.
राजा दशरथ इछ्वाकू वंश के थे..इच्छवाकू वंश भगवन आदिनाथ के समय से चला आ रहा है...इछ्वाकू वंश की विशेषता की इस वंश से हर राजा राज्य त्याग कर मुनि हुए..राजा दशरथ के पिता अरण्य,उनके पिता रघु..और और उनके पिता...अदि भगवन ऋषभ के काल से मुनि हुए..राजा जनक हरी-वंश के थे.
लिखने का आधार-शास्त्र श्री पदम् पुराण(अनुवाद आर्यिका श्री दक्षमति माता जी) अल्प बुद्धि के कारण या प्रमाद के कारण या और कोई गलती हो तोह बताएं..
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