राम लक्ष्मण की वन गमन की कथाएँ-वनमाला की प्राप्ति-
राम लक्ष्मण यक्ष द्वारा बनायीं हुई रामपुरी से प्रस्थान करने लगे..यक्ष ने कहा की हमसे कोई गलती हो तोह क्षमा करें...आप जैसे महापुरुषों की कौन सेवा नहीं करना चाहता..राम लक्ष्मण कहते हैं आप धन्य हैं...अब हमें आगया दीजिये...यक्ष राम को स्वयंप्रभ नाम का हार देते हैं,लक्ष्मण को रत्नजडित चाँद-सूर्य देते हैं..और सीता जी को चूड़ियाँ देते हैं..यक्ष के द्वारा माया से बनायीं हुई नगरी गायब हो जाती है...यक्ष बड़ी मुश्किल से राम-लक्ष्मण को विदा करता है...राम लक्ष्मण भी यक्ष के काम से बहुत प्रसन्न होते हैं...राम-लक्ष्मण आगे के वनों में प्रस्थ्ना करते हैं..आगे विजय पुर नगर के वन में प्रस्थान करते हैं..वहां का राजा पृथ्वीधर रानी इन्द्रानी उसकी पुत्री वनमाला बचपन से ही लक्ष्मण से ही मोहित हो जाती है..उनके गुणों को सुनने से...पिता किसी दुसरे राजकुमार से विवाह करने की बात करते हैं तोह राजुमारी सोचती हैं की लक्ष्मण से विवाह न करने से इच्छा फांसी लगालूं...तोह वह रात में वन-गमन के बहाने से जंगले में पहुँच जाती हैं..सयोंग से वन में लक्ष्मण और राम विराजमान होते हैं...रात को लक्ष्मण को किसी के आने की आवाज होती है..वह सोचते हैं की यहाँ कोई राजकुमारी आई हैं..जो अपना घात करने के लिए..मैं इसकी चेष्टा चुप कर के देखता हूँ...लक्ष्मण वनमाला के मुख से अपना नाम सुनकर और उसका फंदा लगाने का कारण खुद को जानकार वनमाला के सामने आते हैं और कहते हैं की वह ही लक्ष्मण हैं...वन-माला अति प्रसन्न होती हैं..श्री राम कुटिया में जाग जाते हैं..और लक्ष्मण को जोर से बुलाते हैं तोह लक्ष्मण वनमाला के साथ राम के सन्मुख आती है...वनमाला राम को प्रणाम करती है..और सीता जी के पास आकर बैठती है...उधर महल में सखी वनमाला को न पाकर रोती है..जिससे राजा वनमाला को ढूँढने का आदेश देते हैं...वनमाला लक्ष्मण सहित वन में पायी जाती है..जिससे सैनिक अति खुश होते हैं और राजा को खबर देते हैं की वन-माला को उसकी चाह मिल गयी...और उन्होंने उसे फांसी लगाने से भी बचाया...राजा अति खुश होते हैं..और राम के दर्शन करने जंगले में प्रस्थान करते हैं...और रानी इन्द्रानी अपनी कई पुत्रियों के साथ वहीँ पर पहुँचती हैं.....और इस प्रकार वनमाली की प्राप्ति हो जाती है...पुण्य के प्रभाव से क्या नहीं होता...!!!!!!!!
लिखने का आधार-शास्त्र श्री पदम् पुराण
शब्द अर्थ बताने में कोई भूल हो,या अल्प बुद्धि के कारण गलतियों के लिए क्षमा करें...
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