Wednesday, May 30, 2012

heeng-vichaar

हींग के बारे में बहुत बातें होती हैं की खाने योग्य है या नहीं
aaiye dekhte  hain...                   
हींग दो प्रकार की    होती हैं
एक तोह बुरे वाली-मतलब चुरा जैसी हींग  होती है,जिसे  उत्तर-प्रदेश में हीन्ग्दा कहते hain..vah इस्तेमाल करने योग्य   है...क्योंकि afghanishtan में पेड़ से    गिर रही        हींग को प्लास्टिक  के   बैग     में इकठ्ठा किया  जाता    है...
दूसरी   होती    है  लम्बी-वाली...जिसे हींग कहते    हैं....वह इस्तेमाल करने योग्य नहीं है क्योंकि   
afghanishtan में पेड़ से    गिर रही   उस वाली हींग को पंचेंद्रिया जीव  यानि की बकरे की khaal में इकठ्ठा किया  जाता    है...इसलिए हमें उसका  इस्तेमाल नहीं करना  चाहिए.                       

upar waali   heeng ki ek khaas baat  aur  hai...ki yeh  mahinon-mahinon    tak kharaab nahi       hoti  hai...aur saadhuon ko dene yogya  hai.                                                                     
यह सारे  बातें पंडित-रत्न-लाल-बैना डा   जी ने बतायीं..यह सब बातें उन्होंने     हाथरस से  पता करी   हैं...वह खुद गए थे...हाथरस  हींग की mandi है.

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