हींग के बारे में बहुत बातें होती हैं की खाने योग्य है या नहीं
aaiye dekhte hain...
हींग दो प्रकार की होती हैं
एक तोह बुरे वाली-मतलब चुरा जैसी हींग
होती है,जिसे उत्तर-प्रदेश में हीन्ग्दा कहते hain..vah इस्तेमाल करने
योग्य है...क्योंकि afghanishtan में पेड़ से गिर रही हींग को
प्लास्टिक के बैग में इकठ्ठा किया जाता है...aaiye dekhte hain...
हींग दो प्रकार की होती हैं
दूसरी होती है लम्बी-वाली...जिसे हींग कहते हैं....वह इस्तेमाल करने योग्य नहीं है क्योंकि afghanishtan में पेड़ से गिर रही उस वाली हींग को पंचेंद्रिया जीव यानि की बकरे की khaal में इकठ्ठा किया जाता है...इसलिए हमें उसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
upar waali heeng ki ek khaas baat aur hai...ki yeh mahinon-mahinon tak kharaab nahi hoti hai...aur saadhuon ko dene yogya hai.
यह सारे बातें पंडित-रत्न-लाल-बैना डा जी ने बतायीं..यह सब बातें
उन्होंने हाथरस से पता करी हैं...वह खुद गए थे...हाथरस हींग की mandi है.
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