Tuesday, June 5, 2012

HEART'S DESIRE NEVER FULFILL

यह एक बहुत बढ़िया स्टोरी है....जरूर पढ़ें... ......................................
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१.एक नगर के राजा ने घोषणा की जो भी दो दिन बाद...राज-दरबार में सबसे पहले आएगा..उसको जो मांगेगा वह मिलेगा...
२.एक भिखारी उस खबर को सुनकर..कटोरे को लेकर. ..राज-दरबार में आकर खड़ा रहा ,, चौकीदार ने मना किया तब भी नहीं माना....क्योंकि उसे सबसे पहले पहुंचना था....वह भूख प्यास सहता रहा और सर्दी,गर्मी भी...दो दिन तक ऐसे ही रहा.
३.दो दिन बाद राजा आया....और उससे पुछा जो माँगना है मांगो...भिखारी बोला...मुझे और कुछ नहीं चाहिए...सिर्फ इस कटोरे को भर दो.
४.राजा बोला..तुने इतने दिनों तक सर्दी सहन की !!!!!,गर्मी सहन की !!!!,!!!!!भूख सहन की,!!!!प्यास सहन की...और सिर्फ एक कटोरे को भरने के लिए....अरे! तुझे चाहिए तो मकान ले,घर ले,राज्य मांग,हीरे-मोती मांग..लेकिन भिखारी बोला..नहीं.. .सिर्फ इस कटोरे को भर दो,मुझे राज्य सम्पदा नहीं चाहिए
५. राजा सोचता है...की इतने समय से यहाँ खड़ा है..तोह कटोरा हीरे-मोती से भरना चाहिए...और यही आदेश नौकरों को दिया... ...
६..नौकरों ने हीरे मोती se भरा ..कटोरा नहीं भरा...राजा बोला - रत्नों से भर दो..नहीं भरा,.राजा बोला-सोने-चांदी -से भर दो.....पूरा खजाना खाली हो गया...लेकिन कटोरा नहीं भरा...अंत में .राजा बोला-अनाज से भर दो.......तब भी कटोरा खाली का खाली ही रहा......
७.राजा ने बोला-जरूर..यह.कटोरा-कोई-चमत्कार-है..भिखारी--बोला-नहीं--,फिर-जरूर-स्वर्ग-के-किसी-देवता-ने-दिया-है...भिखारी-बोला---नहीं---तोह-जरूर-सारा-सामान-किसी-दूसरी-जगह-पर-पहुँचता-जा-रहा-है...भिखारी-बोला-नहीं....तोह .राजा बोला-आखिर यह है क्या--
८.भिखारी बोला की-राजा,न-यह-वरदान-है,न-श्रांप,न-देवता-ने-दिया,न-नरक-से-आया,न-यह-सामान-कहीं-और-जा-रहा-है.......यह और कुछ नहीं कटोरा-"""""""इंसान की खोपड़ी""""""""" है...जो-कभी-खाली-नहीं-होती-है,कभी-भी-नहीं-भर्ती-है...चाहे-जितना-भी-आ-जाए....
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से यही सीख मिलती है...की-
"""""""मन इसकी इच्छाएं कभी ख़त्म नहीं होगी,चाहे-कुछ-भी-मिल..जाए....इसलिए अपने -पे-और -इच्छाओं-पे-कण्ट्रोल..जरूर करना चाहिए."""""""

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यह-कहानी परम पूज्य मुनि श्री १०८ अरुण सागर जी महाराज के द्वारा सुनाई गयी. जो-शायद इस समय आगरा में ही विराजमान हैं. -------
 
दुनिया के चार गद्दे कभी खाली नहीं होते--
१.शमशान का गद्दा(कितने शव आयें,सब राख-हो जाते हैं...शमशान,कभी नहीं भरता)
२.पेट का गद्दा(कितना भी खालो,आधे-घंटे बाद फिर se भूख लग जायेगी) ...
३.समुद्र का गद्दा (हजारो नदियाँ समां जाएँ,समुद्र कभी नहीं भरता)....और चौथा गद्दा ऐसा गद्दा है
की एक बार को यह तीनों गद्दे भर जाएँ,लेकिन यह चौथा गद्दा-"मन का गद्दा"...कभी भी नहीं भरता है.........

मुनि श्री १०८ अरुण सागर जी महाराज
 
 
 

2 comments:

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    Source: Jain Religion

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