Thursday, March 15, 2012

सच्चा सुख तोह वह है जो  शाश्वत हो,स्वाधीन हो,आत्मोत्पन्न हो,बाधा  रहित हो अखंडित  हो...ऐसा  सुख संसार में तोह है नहीं...लेकिन ऐसा सुख  मोक्ष में  है...इसलिए मोक्ष मार्ग पर चलना-चाहिए.


आत्मा का कल्याण सुख में है और वह सुख आकुलता के बिना है और आकुलता  मोक्ष में  नहीं है इसलिए मोक्ष मार्ग पर चलना चाहिए ..

संसार में दो मार्ग हैं १.एक मोक्ष मार्ग और दूसरा मोह मार्ग...मोह मार्ग दुःख का मार्ग  है  और मोक्ष मार्ग सुख का सच्चे  सुख का मार्ग है...मोह मार्ग में न ही शास्वत सुख,न ही  स्वाधीन सुख,न ही आतोमोत्पन्न,न ही  बाधा रहित और अखंडित सुख है..लेकिन सच्चा सुख  वह  ही है जो ऊपर लिखा गया है..जो आकुलता-व्याकुलता  से  रहित है ...और वह सुख मोक्ष  में  है  इसीलिए मोक्ष  मार्ग पर  चलना चाहिए..सम्यक-दर्शन,सम्यक-ज्ञान,और सम्यक चरित्र की एकता ही मोक्ष मार्ग है..इसलिए हमें इस मोक्ष मार्ग  पर चलना चाहिए.क्योंकि  हर कोई   शास्वत,स्वाधीन,आत्मोत्पन्न,बाधा-रहित  और  अखंडित सुख   ही   चाहता  है...इन्द्रिय            भोग में         तोह दुःख ही   दुःख   है..मिलने से  पहले                                     

No comments:

Post a Comment