Sunday, March 11, 2012

ज्योतिष से हम यह पता कर सकते हैं की कौन से का कर्म का उदय  का आता  है..,इन से सिर्फ सूचना मिलती है,निमित्त नहीं हैं....यह बात आर्यिका प्रज्ञमति माता जी के प्रवचनों में सुनी..

हम ज्योतिष के माध्यम से यह पता कर सकते हैं की कौन से कर्म का  उदय आने वाला है.,गृह किस स्थान पे कैसे बैठे हैं उससे यह पता किया जा सकता है  की  ऐसे कर्म  का उदय आ सकता है...पहली बात इसका मतलब यह नहीं की कोई गृह जीव  को परेशान कर  रहे हैं ,गुस्सा दिला रहे हैं,या परेशान कर रहे हैं,चिंता दे रहे हैं,पिता का वियोग दे रहे हैं..कर्मों का  फल जीव के खुद का ही है...मतलब जैसे किसी ने पता किया की कल तुम्हारी भाई से  लड़ाई होगी...इसका मतलब यह नहीं की लड़ाई होगी ही  होगी...और कुछ भी कार्लो लड़ाई होगी.,इसका मतलब यह है की उसके पास ऐसे कर्म का उदय आएगा,ऐसे निमित्त मिलेंगे की जो उसे लड़ाई करने को प्रेरित करेंगे,लड़ाई करवाएंगे नहीं लड़ाई करने को प्रेरित करेंगे...अब यह उस जीव के ऊपर है की  वह क्या करता है..वह चाहे तोह ऐसे निमित्तों को रोक सकता है..मानलो वह जीव मंदिर गया और मुनि-राज के प्रवचन सुनें की "आर्त रौद्र ध्यान परिणामों का फल नरक और तिर्यंच गति है"...घर पर आया उसके पास भाई ने बदतमीजी से बात की ....उसको गुस्सा आया,मुनि-महाराज की बात याद आई की तिर्यंच और नरक योनी मिलेगी..उसने गुस्सा नहीं कहा..भाई शांत हो-कर चला गया..क्या लड़ाई हुई..जरा मानलें की अगर वह मंदिर नहीं जाता ..तोह न उसे वह बात पता चलती और न ही वह गुस्सा रोकता..बहुत बड़ी लड़ाई होती....अब देखें कौन से कर्म ने क्या बिगाड़ लिया..या हो सकता है की वह मंदिर जाता है..लेकिन प्रवचन नहीं सुनता..या ऐसा भी हो सकता था की वह प्रवचन भी सुनता..लेकिन बातों को याद न रखते हुए....वह लड़ाई करने लग जाता..और दोष किसको देता-गृह को,नीलम की अंगूठी को,हीरे की अंगूठी को...और गलती किसकी है उस जीव की खुद की है....यह तोह हमारे ऊपर  है की हम किस कर्मोदय को कैसे पेश आयुन..मैं चहुँ तोह गुस्से को बढ़ा लूं ,या शांत हो जाऊं..न लड़ाई होगी ..
बात मनोबल की है...यह कर्म जब तक कुछ नहीं बिगाड़ेंगे जब तक हम अपना राग-और द्वेष नहीं देंगे..

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