६ ढाला
पहली ढाल
पंचेन्द्रिय तिर्यन्च के दुःख
कबहू पंचेन्द्रिय पशु भयो,मन बिन निपट अज्ञानी थयो,
सिंहादिक सैनी हैं क्रूर,निर्बल पशु हति खाए भूर.
कबहू आप भयो बलहीन,सबलनिकरि खायो अतिदीन,
छेदन,भेदन,भूख,पियास,भार सहन हिम आतप तरस.
बध-बंधन अदिक दुःख घने,कोटि जीव ते जात न भने,
अति संक्लेश भाव जो धरयो,घोर स्वभ्र सागर में परयो.
शब्दार्थ
१.कबहू-कभी
२.थयो-था
३.सैनी-मन-सहित जीव
४.निर्बल-कमजोर
५.हति-मार मार कर के
६.भुर-बहुत
७.सबल निकरि-बलवान पशुओं ने
८.अतिदीन-असमर्थता,कोई दया नहीं करता था
९.छेदन-छेद किये
१०.भेदन-टुकड़े-टुकड़े करना
११.हिम-ठण्ड
१२.आतप-गर्मी
१३.त्रास-भारी दुःख
१४.बध-बंधन-बलि,बंधन,पिटाई,सुताई अदि.
१५.कोटि जीव-करोरों जिव्हाओं से
१६.जात न भने-कहा नहीं जा सकता
१७.संक्लेश-खोटे भाव
१७.घोर स्वभ्र-नरक रुपी गहरा सागर
भावार्थ
यह जीव (हम) त्रस योनी से अपनी आयु को पूरा करके,पंचेन्द्रिय पशु भी बन गया,लेकिन उस पंचेन्द्रिय योनी में भी इस जीव(हम) को मन नहीं मिला,इसलिए ज्ञान को ग्रहन नहीं कर पाया,और घोर दुःख सहे,यह जीव(हम) अज्ञान की वजह से ही तोह संसार में भटकता है,इसी प्रकार यह जीव(हम) ज्ञान के आभाव में दुखी रहा,और कभी यह जीव(हम) मन सहित यानि की सैनी भी हो गया,तोह सिंह जैसा क्रूर पशु ही हुआ,और पता नहीं कितने निर्बल पशु को मार कर खाया...परिणाम स्वरुप यह जीव(हम) अगले भाव में कमजोर पशु हुआ,तोह उसे बलवान पशुओं ने मार-मार कर खाया,और यह जीव असमर्थ था उसे कोई बचने वाला नहीं था,कभी यह जीव(हम) गाय-भैंस अदि हुआ तोह उससे छेदा गया,कसाई ने शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिया,कभी गधा,घोडा हुआ तोह अत्यंत वजन सेहन किया,कभी इस जीव को किसी मनुष्य ने पाल दिया तोह ठण्ड में,गर्मी में खुला छोड़ दिया ,खाना नहीं दिया और यह जीव अत्यंत दुःख सेहन करता रहा,हम भी तोह जानवरों को पालने लगें हैं,याद करो हम भी ऐसे ही थे,यह हमारी ही कहानी है,कभी यह जीव बकरा अदि हुआ तोह इस जीव को धर्म के नाम पर काट दिया गया,बलि चढ़ा दी गयी,बंधन में रहा,पिंजरे में बंद रहा,और अनंत दुःख सेहन किये,जिसका वर्णन कोटि जिव्हाओं से भी नहीं किया जा सकता,अत्यंत संक्लेषित परिणामों से जब इस जीव ने प्राण को त्यागा,तोह खोटे परिणामों के वजह से नरक रूपी सागर में औंधा होकर (सर के बल) गिर पड़ा.
रचयिता-श्री दौलत राम जी
लिखने का आधार-६ ढाला क्लास्सेस.
जा वाणी के ज्ञान से सूझे लोकालोक,
सो वाणी मस्तक नमो,सदा देत हूँ धोक
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