देव शाश्त्र गुरु वंदना
तर्ज़ - मेरा जूता है जापानी ...............
मेरे देव केवलज्ञानी , मेरे गुरुवर सम्यग्ज्ञानी !
दोनों वीतरागता धारी, हितकर कथनी है जिनवाणी !!
मेरे देव .....................
अनादि काल से बहु दुःख पाए , अपनी मोह गहल से !
बाहर-बाहर ही भटके हम , निज चैतन्य महल से !!
हमने देव की न मानी, गुरु जिनवाणी की न मानी !
और अपनी -अपनी तानी , इससे रहे अज्ञानी !!
मेरे देव ........................
दुर्लभ नर भव पाया हमने , अरु पायी जिनवाणी !
अनादि काल से अब तक की सुन , अपनी दुखद कहानी !!
हितकर देव की प्रमाणी , ज्ञानी गुरुवर की बखानी !
स्यादवाद की निशानी , उर धारी जिनवाणी !!
मेरे देव ..............................
सप्त तत्व का निर्णय करके , स्वपर विवेक को धारें !
निज आतम का अनुभव करके , रत्नत्रय को धारें !!
कहे कौन फिर अज्ञानी , मिटे भव दुःख की कहानी !
मेट कर्मों की निशानी , " नायक " वरें शिवरानी !!
मेरे देव ..............................
तर्ज़ - मेरा जूता है जापानी ...............
मेरे देव केवलज्ञानी , मेरे गुरुवर सम्यग्ज्ञानी !
दोनों वीतरागता धारी, हितकर कथनी है जिनवाणी !!
मेरे देव .....................
अनादि काल से बहु दुःख पाए , अपनी मोह गहल से !
बाहर-बाहर ही भटके हम , निज चैतन्य महल से !!
हमने देव की न मानी, गुरु जिनवाणी की न मानी !
और अपनी -अपनी तानी , इससे रहे अज्ञानी !!
मेरे देव ........................
दुर्लभ नर भव पाया हमने , अरु पायी जिनवाणी !
अनादि काल से अब तक की सुन , अपनी दुखद कहानी !!
हितकर देव की प्रमाणी , ज्ञानी गुरुवर की बखानी !
स्यादवाद की निशानी , उर धारी जिनवाणी !!
मेरे देव ..............................
सप्त तत्व का निर्णय करके , स्वपर विवेक को धारें !
निज आतम का अनुभव करके , रत्नत्रय को धारें !!
कहे कौन फिर अज्ञानी , मिटे भव दुःख की कहानी !
मेट कर्मों की निशानी , " नायक " वरें शिवरानी !!
मेरे देव ..............................
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