हम हुए पर के दीवाने एसे .................
हम हुए पर के दीवाने एसे...२ !
पतंगा कोई , दीपक पर झपटता हो जैसे !!
हम हुए पर के...........
षट दृव्य मयी सृष्टि सारी ....२ !
गेय न मानकर , इष्ट अनिष्ट मानी सदा ही !!
हम हुए पर के...........
शुभा शुभ दोनों ही आस्रव हैं ...२ !
हेय होते हुए भी , लगते हमें हितकर हैं !!
हम हुए पर के...........
संवर निर्जरा जो हैं हितकारी ....२ !
प्रगटाए नहीं ,और माना उन्हें दुःख करी ....!!
हम हुए पर के...........
निज आतम का ध्यान था धरना ...२ !
नहि ध्याया मगर ,पर को निज करने का देखा सपना .....!!
हम हुए पर के...........
पर द्रव्यों को ही अपनाया...२ !
दुःख पाए मगर निज आतम कभी नहि ध्याया ...!!
हम हुए पर के...........
ज्ञेय को जानने योग्य न माना , हेय को त्यागने योग्य न माना...२ !
जो उपादेय है , उनको भी तो न पहचाना ...!!
हम हुए पर के...........
मिथ्या मान्यता ये जब तक खड़ी है ...२ !
मोक्ष की बात क्या, शिव मग दिल्ली दूर बड़ी है ....!!
हम हुए पर के...........
ज्ञेयों में न करें बंटवारा ....२ !
ध्येय का ध्यान हो, "नायक" हो जाए सब निबटारा ....!!
हम हुए पर के...........
हम हुए पर के दीवाने एसे...२ !
पतंगा कोई , दीपक पर झपटता हो जैसे !!
हम हुए पर के...........
षट दृव्य मयी सृष्टि सारी ....२ !
गेय न मानकर , इष्ट अनिष्ट मानी सदा ही !!
हम हुए पर के...........
शुभा शुभ दोनों ही आस्रव हैं ...२ !
हेय होते हुए भी , लगते हमें हितकर हैं !!
हम हुए पर के...........
संवर निर्जरा जो हैं हितकारी ....२ !
प्रगटाए नहीं ,और माना उन्हें दुःख करी ....!!
हम हुए पर के...........
निज आतम का ध्यान था धरना ...२ !
नहि ध्याया मगर ,पर को निज करने का देखा सपना .....!!
हम हुए पर के...........
पर द्रव्यों को ही अपनाया...२ !
दुःख पाए मगर निज आतम कभी नहि ध्याया ...!!
हम हुए पर के...........
ज्ञेय को जानने योग्य न माना , हेय को त्यागने योग्य न माना...२ !
जो उपादेय है , उनको भी तो न पहचाना ...!!
हम हुए पर के...........
मिथ्या मान्यता ये जब तक खड़ी है ...२ !
मोक्ष की बात क्या, शिव मग दिल्ली दूर बड़ी है ....!!
हम हुए पर के...........
ज्ञेयों में न करें बंटवारा ....२ !
ध्येय का ध्यान हो, "नायक" हो जाए सब निबटारा ....!!
हम हुए पर के...........
A good Bhajan full of Adhyatam. Carry on sir. Write some more .
ReplyDeleteAshok Jain Nasirabad