कर्म का क्षय कौन कर सकता है ?
- सूत्रकृतांग सूत्र में एक प्रश्न उपस्थित किया गया है |
इस प्रश्न का समाधान देते हुए कहा गया -
न कम्मुणा कम्म खवेंति बाला,
अकम्मुणा कम्म खवेंति धीरा |
अज्ञानी आदमी सोचते है -
प्रवृत्ति के द्वारा प्रवृत्ति को नष्ट करेंगे |
अकम्मुणा कम्म खवेंति धीरा -
जो ज्ञानी हैं, सचाई को समझते हैं, अन्धकार को चीरकर प्रकाश में आ गए हैं,
जिन्हें वास्तविकता का बोध है, वे जानते हैं कि
' अकर्म के द्वारा कर्म को क्षीण किया जा सकता है '
अकर्म यानि निवृत्ति के द्वारा प्रवृत्ति को समाप्त किया जा सकता है |
अतिथि आया |
उसे सत्कार मिला |
वह फिर आएगा |
अतिथि आया,
उसे सत्कार नहीं मिला |
कोई ठीठ होगा तो दुबारा आएगा अन्यथा नहीं आएगा |
यही क्रम संस्कार का है |
यदि उसे स्थान दिया तो जम जाएगा, घर छोड़कर नहीं जाएगा |
उदहारण से समझें -
दिन भर खाने-पीने का संस्कार है, उपेक्षा शुरू करें;
परिणाम कुछ ही दिनों में २-३ बार से ज्यादा खा नहीं पायेंगे |
२-३ बार नहाने का संस्कार है, उपेक्षा कर दो;
फिर कुछ दिनों में ही संकोच होगा कि पानी कि बर्बादी कितनी करते थे |
इसमें मन का बड़ा हाथ है |
by -CHANCHAL BATHORA
- सूत्रकृतांग सूत्र में एक प्रश्न उपस्थित किया गया है |
इस प्रश्न का समाधान देते हुए कहा गया -
न कम्मुणा कम्म खवेंति बाला,
अकम्मुणा कम्म खवेंति धीरा |
अज्ञानी आदमी सोचते है -
प्रवृत्ति के द्वारा प्रवृत्ति को नष्ट करेंगे |
अकम्मुणा कम्म खवेंति धीरा -
जो ज्ञानी हैं, सचाई को समझते हैं, अन्धकार को चीरकर प्रकाश में आ गए हैं,
जिन्हें वास्तविकता का बोध है, वे जानते हैं कि
' अकर्म के द्वारा कर्म को क्षीण किया जा सकता है '
अकर्म यानि निवृत्ति के द्वारा प्रवृत्ति को समाप्त किया जा सकता है |
अतिथि आया |
उसे सत्कार मिला |
वह फिर आएगा |
अतिथि आया,
उसे सत्कार नहीं मिला |
कोई ठीठ होगा तो दुबारा आएगा अन्यथा नहीं आएगा |
यही क्रम संस्कार का है |
यदि उसे स्थान दिया तो जम जाएगा, घर छोड़कर नहीं जाएगा |
उदहारण से समझें -
दिन भर खाने-पीने का संस्कार है, उपेक्षा शुरू करें;
परिणाम कुछ ही दिनों में २-३ बार से ज्यादा खा नहीं पायेंगे |
२-३ बार नहाने का संस्कार है, उपेक्षा कर दो;
फिर कुछ दिनों में ही संकोच होगा कि पानी कि बर्बादी कितनी करते थे |
इसमें मन का बड़ा हाथ है |
by -CHANCHAL BATHORA
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