Wednesday, March 7, 2012

धर्म के बिना संसार में जरा सा भी सुख नहीं है....लगता जरूर है बिना धर्म के सुख होगा...लेकिन बिना धर्म के जरा सा भी सुख नहीं है.. इस चीज को हम जीवन में dekh sakte हैं...हर जीव सुख चाहता है...kaun होगा jo दुःख चाहता होगा...हर कोई सुख चाहता है..लेकिन सुख को देने wale धर्म को dhaaran नहीं करना चाहता...muni maharaj के pravachan sunne jaun...maharaj कहेंगे समता रखो...तब बात जरूर बुरी लगती है...मन में गुस्से यह आता है..की maharaj श्री toh कहते  रहते हैं..इनका toh काम बोलना ...मानता नहीं है..नहीं सुनता,नहीं मानता..समझा रहे हैं बिना समता के सुख नहीं है..नहीं मानते...मत मानो कब तक नहीं मानोगे..घूम फिर कर veetragi सर्वज्ञ हितोपदेशी भगवन की बात माननी padegi..घर पर bahu ne namak jyaada dal diya...यह नहीं समता रख लेता ..लड़ने लग गया...लड़ाई  हो  गयी,...बीमारी लग गयी,दो ghante तक क्रोध में जलता रहा...kal से समता अपने आप ही रखनी पड़ी..कब तक नहीं  रखोगे...धर्म के बिना सुख नहीं है toh सुख नहीं है...अच्छा इसमें गौर की बात यह है की हम यह कहते हैं की आज मंदिर गए,महाराज जी के प्रवचन सुने तोह लड़ाई हो गयी..मतलब उस समय कैसे विचार आते.....अरे महाराज जी ने कब कहा था की बहु नमक ज्यादा डाल तोह लड़ाई करना ...महाराज जी की बात नहीं मानी तोह यही होगा..लेकिन हम इतने बेबकूफ की उन्ही को गलत ठहराते हैं..डॉक्टर के पास जाएँ डॉक्टर की दवाई पे विश्वास है..हाँ बहुत अच्छी दवाई है...जानकारी भी है कैसे खानी hai ,लेकिन khaayi नहीं और beemari ज्यादा बढ़ गयी तोह डॉक्टर की hi गलती thehrai जाए तोह कितनी गलत baat है...और बेबकूफी की baat  है लेकिन हम ऐसी बेबकूफी bahut karte हैं...और फिर कहते हैं हमें धर्म से सुख नहीं मिला...अरे जब जीवन में उतारूंगा तभी तोह सुख होगा ....हम duniya को देखते हैं...yeh नहीं देखते की aisa karne वाला sukhi है ya dukhi ,yeh तोह dekh lete हैं paisa bahut है ..naukar bahut है pooch bahut है लेकिन kya सुख है...duniya में har kaam सुख ke liye kiya jaata है ya naukar ज्यादा hone ke liye... ...लेकिन नहीं maante ..kab तक नहीं मानोगे कभी na कभी तोह manna padegaयह बात १००% सत्य है की bina धर्म ke सुख नहीं है isliye धर्म को हमें apne जीवन में utaarna chahiye...और vah धर्म है सम्यक-दर्शन,सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र ....yeh उत्तम सुख को देने वाला आकुलता व्याकुलता रहित अवस्था को देने वाला धर्म है.

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