Saturday, March 24, 2012

सिद्ध-परमेष्ठी---शास्वत,स्वाधीन,आत्मोत्पन्न,बाधा-रहित..और-अखंडित-सुख--का-अनुभव-करने-वाले..हैं..ऐसे-सुख-को-प्राप्त-करने-का-मार्ग-हमें-आचार्य-भगवंत-बता-रहे-हैं....वो..है-सम्यक-दर्शन,सम्यक-ज्ञान,सम्यक-चरित्र...की-एकता-ही-मोक्ष-मार्ग-है...
आत्मा-का-हित-सुख-में-है-और-वह-सुख-आकुलता-के-बिना-है-और-आकुलता-मोक्ष-में-नहीं-है...इसलिए-मोक्ष-मार्ग-पर-चलना-चाहिए...

सम्यक-दर्शन.
सम्यक-दर्शन-आठ-अंग-सहित-और-२५-दोषों-से-रहित..जो-सम्यक-दर्शन-को-धारण-करता-है..उसने-अगर-जरा-सा-भी-संयम-नहीं-है-तोह-भी-सुरनाथ-जजते-हैं....
वह-आठ-अंग-हैं..
१.निशंकित-जैसा-जिनेन्द्र-भगवन-ने-कहा-है...वैसा-अटल-सत्य-है,अन्यथा-नहीं-है..
कोई-सीने-में-गोली-रख-दे-और-बुलवाए..की-आत्मा-और-शारीर-एक-हैं...तोह...भी-नहीं-बोलना..ऐसी-श्रद्धा-होनी-चाहिए....
सूक्ष्मम-जिनोदितम-तत्त्वं-हेतु-भिर्नैव-हन्यते.
आज्ञा-सिद्धं-तुं-तद्ग्रहा-न-अन्यथा-वादिनो-जिन:
२.निकंछित-अंग---धर्म-से-भगवान-से-भौतिक-सुखों-की-चाह-नहीं-रखना-जैसे-की-परीक्षा-में-अच्छे-अंक-आयें-फेल-नहीं-हो-जून,धन-मिल-जाए-सम्पदा-मिल-जाए..इस-तरह-की-चाह-नहीं-रखना.
३.निर्वचिकित्सा-रत्नत्रय-का-पालन-करने-वाले-मुनि-महाराज,त्यागी-व्रती-अदि-के-मलिन-शारीर-को-देखकर-घ्रणा-नहीं-करना.
४.अमूढ-दृष्टी-सही-और-गलत-तत्त्व-की-पहचान-होना..मूढ़ताओं-में-नहीं-पड़ना..जैसे-किसी-का-नाम-लेने-से-मोक्ष-मिल-जाएगा.,नाक-कटाने-से-भगवान-के-दर्शन-हो-जायेंगे.
५.उपगूहन-अपने-गुणों-को-ढकना,दुसरे-को-अवगुणों-को-ढकना..गुण-ही-देखना..और-धर्मात्माओं-के-अवगुणों-को-ढकना..क्योंकि-वोह-ऐसा-है-तोह-सब-तोह-ऐसे-नहीं-हैं.
६.स्थिति-करण---काम-क्रोध,आदि-कारण-से-धर्म-से-दिग-रहे-खुद-को-दुसरे-को-संभाल-लेना
७.वात्सल्य-धर्मी-से-गाय-वछ्ड़े-के-सामान-प्रीती-रखना...
८.प्रभावना-जिन-शासन-की-प्रभावना-करना.

२५-दोष
१..आठ-अंग-सम्बन्धी-दोष.(जो-ऊपर-बताये-हैं..उनके-विपरीत-मन्ना-दोष-है)
आठ-मद.
९.पित्र-पक्ष-से-राजा-होने-का-घमंड-नहीं-होना.
१०.माता-के-पक्ष-से-राजा-होने-का-घमंड-नहीं-होना.
११.रूप-का-मद-नहीं-होना
१२.ज्ञान-का-घमंड-नहीं-होना
१३..धन-का-घमंड-नहीं-होंना
१४.बल-ताकत-का-घमंड-नहीं-होना
१५.तपस्या-का-घमंड-नहीं.
१६.प्रभुता-का-घमंड-नहीं-होना.
६-अनायतन..और-तीन-मूढ़ता.१७.कुगुरू-की-प्रशंसा-नहीं-करना
१८.कुगुरू-के-सेवक-की-प्रशंशा-नहीं-करना
१९.कुदेव-की-प्रशंशा-नहीं-करना
२०.कुदेव-के-सेवक-की-प्रशंशा-नहीं-करना
२१.कुधर्म-की-प्रशंसा-नहीं-करना
२२.कुधर्म-के-सेवक-की-प्रशंशा-नहीं-करना
२३.जिनेन्द्र-देव-के-अलावा-अन्य-किसी-को-प्रणाम-नहीं-करना
२४जिन-साधू-के-अलावा-अन्य-किसी-को-प्रणाम-नहीं-करना
२५.जिन-शास्त्र-के-अलावा-अन्य-किसी-को-नमस्कार-नहीं-करना

जो-इन-२५-दोषों-से-रहित...और-८-अंग-से-सहित..सम्यक-दर्शन-को-जजते-हैं..अगर-उनके-चरित्र-मोहिनीय-कर्म-के-वशीभूत-लेशमात्र-भी-संयम-नहीं-हो...तोह-भी-सुरनाथ-जजते-हैं

सम्यक-दृष्टी-होने-के-फायदा.
१.पहले-नरक-को-छोड़कर-अन्य-नरकों-में-वह-जीव-जन्म-नहीं-लेता-है.
२.व्यंतर,भवन्वासी-और-ज्योतिषी-देव-नहीं-होता-है.
३.नपुंसक-और-नारी-नहीं-होता-है.
४.थावर-नहीं-होता,विकल्त्रय-नहीं-होता,पशु-नहीं-होता

तीनों-लोकों-में-तीनों-काल-में-सम्यक-दर्शन-के-सामान-सुख-दाई-कुछ-भी-नहीं-है...सारे-धर्म-का-मूल-ही-यही-है
सम्यक-दर्शन-मोक्ष-महल-की-पहली-सीढ़ी-है-इसके-बिना-ज्ञान-और-चरित्र-में-सच्चापन-नहीं-रहता-है.


लिखने-का-आधार-६-ढाला,पंडित-श्री-दौलत-राम-जी.

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