संस्थान-यानी-की-अकार
यह-६-प्रकार-का-होता-है.
सम-चतुरस-संस्थान---चारो-तरफ-से-आकार-ठीक,न-नाक-लम्बी,न-ठोड़ी-चौड़ी.कोई-यह-नहीं-कहे-की-यह-चीज-ऐसी-नहीं-ऐसी-होनी-चाहिए-थी.
नैगरोद-परिमंडल-संस्थान.
नैगरोद-पेड़-की-तरह---ऊपर-का-हिस्सा-बड़ा,नीचे-का-छोटा.
अच्छा-नहीं-है.
स्वाति-संस्थान.सांप-की-बाबी-की-तरह.
ऊपर-का-हिस्सा-छोटा,नीचे-का-बड़ा..-अच्छा-नहीं-है.
कुब्जक-संस्थान.---कुबड़े-का-आकार "बूढ़े-लोग-झुकने-वालों-का-नहीं-माना-जाएगा.
अगर-डॉक्टर-से-कह-कर-कटवा-दिया...तोह-नहीं-बदलेगा...
वामन-संस्थान-----बौना-संस्थान
आज-के-ज़माने-में
5:30-फीट-की-ऊंचाई-से-कम.
हुन्ड़क-संस्थान---बेडोल-अंग
एक-बार-देखने-के-बाद-दोवारा-देखने-की-इच्छा-ही-न-हो.
सबसे-खराब-संस्थान
हम-सम-चतुर-संस्थान-के-धारी-हैं
उत्कृष्ट-अनुभाग-तीर्थंकर,काम-देव,नारायण,चक्रव्तियों-में-होता-है.
हमारा-जघन्य-अनुभाग-है.
सामान्य-मनुष्यों-के-हुन्ड़क-संस्थान-नहीं-है.
देव-देवी-सम-चतुरस-संस्थान
नारकी-हुन्ड़क-SANSTHAAN
भोग-भूमि-मनुष्य---सम--चतुरस-संस्थान.
कुभोग-भूमियाँ---हुन्ड़क-संसथान.
तिर्यंच
कर्म-भूमि
भिन्न-भिन्न-प्रकार
६-संस्थान-हो-सकते-हैं.
एकेंद्रिया-जीवों-अनिर्दिष्ट--संस्थान.
वनस्पति-में----पांच-हीन-संस्थानों-का-मिश्रण-होता-है.
विक्लेंद्रिया-जीव-हुन्ड़क,या-मिक्स-संस्थान-माना-है.
विग्रह-गति-में...तेजस-और-कार्मन-शारीर...होता..है
कोई-संस्थान-नहीं-होता-है.
सम्यक-दृष्टी-को-सम-चतुर-संस्थान..ही-मिलता-है..
यह-आकर-शारीर-का-है...आत्मा-का-नहीं.
नाम-कर्म-के-उदय-से-अच्छे-संस्थान-पर-घमंड-नहीं-करूँ.
मैं-तोह-इनसे-भिन्न-ज्ञाता-दृष्ट-हूँ.
मेरा-कोई-आकार
नहीं-है
पंडित-श्री-रतन-लाल-बैनाडा-जी.
यह-६-प्रकार-का-होता-है.
सम-चतुरस-संस्थान---चारो-तरफ-से-आकार-ठीक,न-नाक-लम्बी,न-ठोड़ी-चौड़ी.कोई-यह-नहीं-कहे-की-यह-चीज-ऐसी-नहीं-ऐसी-होनी-चाहिए-थी.
नैगरोद-परिमंडल-संस्थान.
नैगरोद-पेड़-की-तरह---ऊपर-का-हिस्सा-बड़ा,नीचे-का-छोटा.
अच्छा-नहीं-है.
स्वाति-संस्थान.सांप-की-बाबी-की-तरह.
ऊपर-का-हिस्सा-छोटा,नीचे-का-बड़ा..-अच्छा-नहीं-है.
कुब्जक-संस्थान.---कुबड़े-का-आकार "बूढ़े-लोग-झुकने-वालों-का-नहीं-माना-जाएगा.
अगर-डॉक्टर-से-कह-कर-कटवा-दिया...तोह-नहीं-बदलेगा...
वामन-संस्थान-----बौना-संस्थान
आज-के-ज़माने-में
5:30-फीट-की-ऊंचाई-से-कम.
हुन्ड़क-संस्थान---बेडोल-अंग
एक-बार-देखने-के-बाद-दोवारा-देखने-की-इच्छा-ही-न-हो.
सबसे-खराब-संस्थान
हम-सम-चतुर-संस्थान-के-धारी-हैं
उत्कृष्ट-अनुभाग-तीर्थंकर,काम-देव,नारायण,चक्रव्तियों-में-होता-है.
हमारा-जघन्य-अनुभाग-है.
सामान्य-मनुष्यों-के-हुन्ड़क-संस्थान-नहीं-है.
देव-देवी-सम-चतुरस-संस्थान
नारकी-हुन्ड़क-SANSTHAAN
भोग-भूमि-मनुष्य---सम--चतुरस-संस्थान.
कुभोग-भूमियाँ---हुन्ड़क-संसथान.
तिर्यंच
कर्म-भूमि
भिन्न-भिन्न-प्रकार
६-संस्थान-हो-सकते-हैं.
एकेंद्रिया-जीवों-अनिर्दिष्ट--संस्थान.
वनस्पति-में----पांच-हीन-संस्थानों-का-मिश्रण-होता-है.
विक्लेंद्रिया-जीव-हुन्ड़क,या-मिक्स-संस्थान-माना-है.
विग्रह-गति-में...तेजस-और-कार्मन-शारीर...होता..है
कोई-संस्थान-नहीं-होता-है.
सम्यक-दृष्टी-को-सम-चतुर-संस्थान..ही-मिलता-है..
यह-आकर-शारीर-का-है...आत्मा-का-नहीं.
नाम-कर्म-के-उदय-से-अच्छे-संस्थान-पर-घमंड-नहीं-करूँ.
मैं-तोह-इनसे-भिन्न-ज्ञाता-दृष्ट-हूँ.
मेरा-कोई-आकार
नहीं-है
पंडित-श्री-रतन-लाल-बैनाडा-जी.
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