Sunday, March 25, 2012

SANSTHAAN-NAAM-KARMA

संस्थान-यानी-की-अकार
यह-६-प्रकार-का-होता-है.

सम-चतुरस-संस्थान---चारो-तरफ-से-आकार-ठीक,न-नाक-लम्बी,न-ठोड़ी-चौड़ी.कोई-यह-नहीं-कहे-की-यह-चीज-ऐसी-नहीं-ऐसी-होनी-चाहिए-थी.


नैगरोद-परिमंडल-संस्थान.

नैगरोद-पेड़-की-तरह---ऊपर-का-हिस्सा-बड़ा,नीचे-का-छोटा.

अच्छा-नहीं-है.

स्वाति-संस्थान.सांप-की-बाबी-की-तरह.

ऊपर-का-हिस्सा-छोटा,नीचे-का-बड़ा..-अच्छा-नहीं-है.

कुब्जक-संस्थान.---कुबड़े-का-आकार "बूढ़े-लोग-झुकने-वालों-का-नहीं-माना-जाएगा.
अगर-डॉक्टर-से-कह-कर-कटवा-दिया...तोह-नहीं-बदलेगा...

वामन-संस्थान-----बौना-संस्थान
आज-के-ज़माने-में
5:30-फीट-की-ऊंचाई-से-कम.

हुन्ड़क-संस्थान---बेडोल-अंग

एक-बार-देखने-के-बाद-दोवारा-देखने-की-इच्छा-ही-न-हो.
सबसे-खराब-संस्थान

हम-सम-चतुर-संस्थान-के-धारी-हैं

उत्कृष्ट-अनुभाग-तीर्थंकर,काम-देव,नारायण,चक्रव्तियों-में-होता-है.

हमारा-जघन्य-अनुभाग-है.

सामान्य-मनुष्यों-के-हुन्ड़क-संस्थान-नहीं-है.

देव-देवी-सम-चतुरस-संस्थान

नारकी-हुन्ड़क-SANSTHAAN

भोग-भूमि-मनुष्य---सम--चतुरस-संस्थान.

कुभोग-भूमियाँ---हुन्ड़क-संसथान.

तिर्यंच
कर्म-भूमि
भिन्न-भिन्न-प्रकार

६-संस्थान-हो-सकते-हैं.

एकेंद्रिया-जीवों-अनिर्दिष्ट--संस्थान.

वनस्पति-में----पांच-हीन-संस्थानों-का-मिश्रण-होता-है.

विक्लेंद्रिया-जीव-हुन्ड़क,या-मिक्स-संस्थान-माना-है.

विग्रह-गति-में...तेजस-और-कार्मन-शारीर...होता..है

कोई-संस्थान-नहीं-होता-है.

सम्यक-दृष्टी-को-सम-चतुर-संस्थान..ही-मिलता-है..

यह-आकर-शारीर-का-है...आत्मा-का-नहीं.

नाम-कर्म-के-उदय-से-अच्छे-संस्थान-पर-घमंड-नहीं-करूँ.

मैं-तोह-इनसे-भिन्न-ज्ञाता-दृष्ट-हूँ.

मेरा-कोई-आकार

नहीं-है

पंडित-श्री-रतन-लाल-बैनाडा-जी.

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